Friday, 30 November 2018

सवाल.? मोहम्मद नबी, अहमद नबी, नबी अहमद, नाम रखना कैसा है? जवाब.* हराम है कि इनमें हकीकत में नबुवत का दावा अगरचे नहीं पाया जाता मगर सूरत और लफ्ज़ों के एतबार से दावा जरूर है, और यह गुमान करना कि नामों में पहले माना मुराद नहीं होते न शरीयत में ऐसा कहीं है और न आम बोल चाल की जुबान में। इसी तरह यासीन, व् ताहा नाम रखना मना हें। यूंही गफूरुद्दीन, वगेरा नाम भी सख्त गलत वह बुरे हैं। (फ़तावा रिजविया जिल्द 9 पेज 201-202)

Thursday, 15 November 2018

Islamic sawal jawab

सवाल.? हुजूर सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम पर दरूद शरीफ पढ़ने की कितनी सूरते हें। जवाब.* 6 सूरते हैं (1) फर्ज (2) वाजिब (3) सुन्नत (4) मुस्तहब (5) मकरूह (6) हराम" (1) फर्ज. पूरी जिंदगी में एक बार पढ़ना फर्ज है। (2)वाजिब. जब जब हुजूर का नाम लिया जाए हर बार पढ़ना वाजिब है लेकिन सही कॉल यह है कि एक बार वाजिब और हर बार मुस्तहब है। (3)सुन्नत. नमाज के आखिरी कायदे में और नमाज ए जनाजा की दूसरी तकबीर के बाद दरूद शरीफ पढ़ना सुन्नत है। (4)मुस्तहब. रात और दिन में जब जब मौका मिले पढ़ना मुस्ताहब है। (5)मकरूह आखरी फायदे और दुआए क़ुनूत के इलावा नमाज के किसी रुक्न में दुरुद पडना मकरूह है। (6)हराम. दरूद शरीफ की जगह"सलअम या अम या सोद का सिरा लिखना हराम व नाजाइज़ हें। (तहतावी पेज157+खाजीन 5 पेज 225+रददुल मोहतार 1 पेज 363+फतावा अफरिका पेज 45)

Wednesday, 14 November 2018

इस्लामिक सवाल जवाब

सवाल.? कीन सूरतों में दरूद पढ़ना मकरूह है। जवाब.* आखरी कायदे और दुआए कुनूत के इलावा नमाज के किसी रुक्न मैं दरूद पढ़ना मकरूह है इसी तरह ताजिर का खरीदार को सामान दिखाते वक्त इस गरज से दरूद शरीफ पढ़ना कि उस चीज की अच्छाई खरीदार पर जाहिर हो दरूद पड़ना मकरूह हें।

Friday, 9 November 2018

इस्लामिक सवाल जवाब

Like और share ज़रूर करे सवाल.?क्या इन्शान की तरह जिन्नात और फरिस्तो को भी सहाबी होने का शर्फ़ हासील हें? जवाब.* हां ,यह हज़रात भी सहाबी की तारीफ़ में सामील हें और उन्हें भी सहाबी होने का शर्फ़ हासील हें। (ज़करानी 1 पेज 302 जिल्द 7 पेज 28,तकमिलुल इमान पेज 9,बसिरुल कारी पेज 125)

Tuesday, 6 November 2018

Islamic sawal jawab

सवाल.? निकाह के लिए कौन सा दिन मुबारक और बाइसे बरकत है जवाब.* जुम्मा का दीन हज़रत आदम अलैहिस्सलाम का निकाह हवा से हजरत यूसुफ अलैहिस्सलाम का निकाह जुलेखा से हजरत मूसा अलैहिस्सलाम का निकाह शफुरा से हजरत सुलेमान अलैहिस्सलाम का निकाह बिलकिश से और हुजूरे अनवर सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम का निकाह खातिजतुल कुबरा से और हजरत आयशा से जुम्मा ही के दिन हुआ (तफ़सीर नईमी पारा 11 पेज 171)